काश की मैं उसे हिंदी की अहमियत समझा पाता!
बात कुछ ही दिन की है, मैं क्लास में बैठ कर अपने मित्र को कुछ जरूरी मेसेज कर रहा था, हिंदी में। पता नहीं कौन महानुभाव था वह जिसने देखा और तंज कसते हुए बोला. . .भाई हिंदी?
किस ज़माने के हो?
ध्यान प्रतिशतता के सवालो में उलझा था उस वक़्त कुछ बोल ही नहीं पाया मैं। बड़ा खेद है मन में। वर्ना बताता उसे की जिस स्वेग से वह अंग्रेजी बोलता है उसके न जाने कितने ही शब्द हमारे संस्कृत एवं हिंदी से ही लिए गयें हैं! न जाने क्या दिक्कत है हमारे देश के लोगों की जो की अपने ही भाषा को बोलने में खुद को हिन भावनाओं का शिकार मान बैठते हैं। जबकि विदेशी भाषाओं के इस्तेमाल में उन्हें एक अलग प्रकार का स्वेग दिखता हैं। काश मैं बता पाता उस नादान को की हिंदी ही वह भाषा है जिसने 132 करोड़ लोगो को एक कर रखा है फर्क नहीं पड़ता वह किस धर्म मजहब या संप्रदाय से ताल्लुक़ात रखते हैं। गाँधी गुजराती थे किन्तु उन्होंने करोड़ो हिंदुस्तानियों को हिंदी के माध्यम से ही बाँध रखा था, एक कर रखा था।
हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है क्यों भूल बैठते हैं हम?
क्यों बार-बार इस वक्तव्य पर इतना ज़ोर दे कर कहना पड़ता है हमे?
बात कुछ ही दिन की है, मैं क्लास में बैठ कर अपने मित्र को कुछ जरूरी मेसेज कर रहा था, हिंदी में। पता नहीं कौन महानुभाव था वह जिसने देखा और तंज कसते हुए बोला. . .भाई हिंदी?
किस ज़माने के हो?
ध्यान प्रतिशतता के सवालो में उलझा था उस वक़्त कुछ बोल ही नहीं पाया मैं। बड़ा खेद है मन में। वर्ना बताता उसे की जिस स्वेग से वह अंग्रेजी बोलता है उसके न जाने कितने ही शब्द हमारे संस्कृत एवं हिंदी से ही लिए गयें हैं! न जाने क्या दिक्कत है हमारे देश के लोगों की जो की अपने ही भाषा को बोलने में खुद को हिन भावनाओं का शिकार मान बैठते हैं। जबकि विदेशी भाषाओं के इस्तेमाल में उन्हें एक अलग प्रकार का स्वेग दिखता हैं। काश मैं बता पाता उस नादान को की हिंदी ही वह भाषा है जिसने 132 करोड़ लोगो को एक कर रखा है फर्क नहीं पड़ता वह किस धर्म मजहब या संप्रदाय से ताल्लुक़ात रखते हैं। गाँधी गुजराती थे किन्तु उन्होंने करोड़ो हिंदुस्तानियों को हिंदी के माध्यम से ही बाँध रखा था, एक कर रखा था।
हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा है क्यों भूल बैठते हैं हम?
क्यों बार-बार इस वक्तव्य पर इतना ज़ोर दे कर कहना पड़ता है हमे?
01/02/2018
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