Wednesday, 19 September 2018

A Broken Dream

सात वर्ष बीत गए. . .कब बीते पता ही नहीं चला और काफी कुछ बदल गया इन सात वर्षों में। एक छोटा सा बच्चा जो कभी अपने देश का नेतृत्व करना चाहता था वो अब बड़ा हो गया है। कब हुआ पता ही नहीं चला। कैसे हुआ समझ ही नहीं आया। किया तो उसने बहुत कुछ मगर कर के भी कुछ कर न सका! और सात वर्ष बीत गये. . .कब बीतें पता ही नहीं चला!

14 वर्ष की उम्र और बड़ी-बड़ी बातें। खूब ऊँची सोच और खूब ऊँचे सपने। कामयाब होने की जिद और सफल होने का लक्ष्य। 

कुछ ऐसी थी उस बच्चे की ख़्वाहिश। दिली ख्वाहिश। न दिन का फिक्र न रात की चिंता। न स्कूल का टेंशन न परीक्षा का डर। कुछ था ग़र उसके पास तो वह था जूनून। केवल जूनून। खेलने का। चाहे सुबह हो या शाम, दिन हो रात। परवाह नहीं। जज्बा मंजिल पाने का जो था।

हुआ तो कुछ भी नहीं। मगर सात वर्ष बीत गए. . .और कब बीते पता भी न चला !

और इन सात वर्षो में वह छोटा सा बच्चा जिसकी छोटी-छोटी आँखों में बड़े-बड़े सपने थे वह बड़ा हो गया।

क्रिकेट जिसका धर्म था और सचिन जिसका भगवान। जो बल्ला ले के सोता था और बल्ला ले के जगता था। जो रात के 2 बजे भी बल्ले की मरम्मत और अगले मैच की रणनीति में उलझा होता था। जिसके हर एक सांस से खेल की खुशबू आती थी और नस-नस में क्रिकेट का ख़ुमार सवार था। वह बच्चा अब बड़ा हो गया है। किया तो उसने बहुत कुछ मगर कर के भी कुछ न कर सका, सात वर्ष बीत गए और पता भी न चला!

न युवराज के 6 छक्के लगते न श्रीसंत का वो कैच। न सचिन के वो 200 और न धोनी का वो विनिंग सिक्स. . .आज पुरे सात वर्ष बीत गए। आज के ही दिन जो छोटा सा बच्चा इंडिया. . .इंडिया. . .चियर्स कर रहा था. . .आँखों में जिसके सपने थे, उम्मीदें थी, ख्वाहिशें थी. . .उसका वो सपना भी अब टूट गया, उम्मीदें भी अब छूट गयी। और सात वर्ष बीत गए, पता भी न चला. . .

Raj Atul
02/04/2018

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