Monday, 8 March 2021

मेरे पापा! ❤️

जताते कभी नहीं,
पर तुमको फ़िक्र हमेशा रहती है। × 2 

कठोर बहुत हो ऊपर से,
पर तुम सा "विनय" दिल कोई नहीं।

आवेग में बहुत कुछ बोल जाता हूँ,
पर तुम चुप से सबकुछ सुनते हो।
दुनिया देखा बहुत है तुमने,
दुनियादारी मुझे सिखाते हो।
छल-कपट से कोसों दूर,
समझदारी की राह पे चलना बताते हो।

नायक तो देखें कई हैं हमने,
अकसर अपने वाले को ढूंढा करता था,
बुद्धि आई. . . तब समझ है आया,
मात-पिता से बढ़कर कोई न था।

रोया तो छुपकर मैं भी था,
जब घर से दूर को आया था
(हृदय पर पत्थर रखकर तब तुमने,
साहस को मेरे बढ़ाया था।) × 2

प्रेम तो तुमसे बहुत है पापा,
पर दिखा नहीं मैं पाता हूँ,
जाने क्यों मैं कभी-कभी 
हठ पे अपने अड़ जाता हूँ,
पर फिर भी सारी ख़्वाहिश मेरी 
पूरी तो तुम करते हो, 
अपनी जरूरतें कम करके
तुम मुझपे ख़र्चे करते हो। 

केवल इतना माँगा है ईश्वर से,
तुम्हारे खून की लाज बचा पाऊं,
कुछ बनूँ या न बनूँ,
केवल तुम सा मैं बन जाऊं,
(तुम्हारे हर बूँद पसीने का,
हिसाब अदा मैं कर पाऊं। ❤️) × 2

17/02/2011 10:52PM

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